ये जिंदगी अपनी जगह खंभे सी खड़ी है।
भाव: आज का युवा कैसे नौकरी की तलाश में परेशान हाल है, उसकी उम्मीदों की क्या स्थिति है? और उसका अपना जीवन कैसे इस नौकरी के अभाव में, प्रभावित हो रहा है, शादी ब्याह और सामाजिक न्याय सब कही न कही इस नौकरी या रोजगार पर टंगा है। उसकी आत्मस्थिति क्या है और व्यवस्था की इस प्रवंचना से वह किस हाल में है इस पर कुछ लाइने पढ़ें। शायद हम उसे एक वर्चुअल साथी बन कुछ सुकून दे सकें तो हमारी यह मेहनत कुछ अर्थ में सार्थक हो जाएगी। बिजली के करेंट… की अपने भीतर प्रवाह की चाह… में बिजली.. के, दो समानांतर एल्युमिनियम वाले तारों की, आस... में, सालों… से अपनी जगह, चुप..शांत.. पड़े, इन वीरान खेतों.. में गड़े न जाने कबसे, अपने हाल में सीधे…खड़े, खंभों. सी, पड़ी, ये…. मेरी… जिंदगी.. क्या किसी जिम्मेदार को कभी है दीखती ? ज्यादा तो नहीं पर थोड़ी..तो है ही, पढ़ी लिखी, एक नौकरी की तलाश में नौकरी..की आस पर टंगी तेरे* आजीवन साथ की… प्यास में, रुकी आज भी… वैसे ही, वहीं है, खड़ी। क्या किसी जिम्मेदार को यह भूले भी, ...