पूछ तो! ऊपर शिखर पर, क्या रखा है?

भाव: आदमी के संस्कार स्वतः ही मुखर हो जाते हैं उन्हें बताने की जरूरत नहीं होती उसकी सादगी, बातचीत, और मिलना सब अलग ही होता है औरों से। आदमी के बोलने से पहले ही आपका आचरण और सादगी सब बता देती है। इसी पर कुछ लाइने पढ़ें।

देखेगा..... 

जब.. भी कोई तुझे,  

तेरी सादगी_में रचा, 

लुकाछिपी खेलता 

पहले

मैं ही, नजर आऊंगा, 

निकट तेरे 

पांवों की महावर में रंगा 

बर-वक़्त, चारों तरफ,  

रौशनी बन, 

हौले, हौले

औरा सा, बिखर जाऊंगा।


उठेंगी 

जब.. भी, ये पलकें.. 

तेरी, 

घनेरी.., काली काली

तेरे मुख पे.. 

छलकती मुस्कान.. के पीछे

कोनों में, होठ के नीचे

देखना! दुबकता, मुखर होता

मैं ही सज़ जाऊंगा।

भाव: हमें जिंदगी को इसकी सुख सुविधाओं को अपने उसूलों पर हावी नहीं होने देना चाहिए। तकलीफें जीवन का हिस्सा हैं सच्चाई से हट वे समाप्त नहीं होते पश्चाताप में बदल जाती हैं अतः अपने उसूल पर कायम रहें।

तुम 

झुकना मत

उसूलों पर टिके रहना; 

देखना! मैं मजबूत दीवार बना, 

सामने ही नजर आऊंगा।


तूं, इस दुकड़िया 

जिंदगी... से डरता है! 

फेस तो कर इसको, 

सच कहता हूँ! 

तुझसे, 

हर कांटे के भीतर, 

चुभन के अंदर

पहला पग, 

मैं अपना ही बढ़ाऊंगा।

भाव: सत्य खिलता है और हमें प्रसन्नता भी देता है, सब्र करना आना चाहिए। जिंदगी को मुफलिसी से भी आराम से जीना चाहिए। हार एक रास्ता है, सीढ़ी ही है यह हमे संवारती है यह अनावश्यक नहीं। जो जीतते है वो कुछ अलग नहीं पाते कभी पूछना उनसे विजेता भी जीवन के संघर्ष को ही बखान करेगा।

छोड़, सारी चिंताएं, 

चल, साथ मेरे!  

भरोसा तो रख!  

तुझको मैं 

अपनी, इन्हीं पलकों पर 

सपनो सा बिठाऊंगा।


जिंदगी जी!  

हार से डर,मत! 

सीढ़ियां हैं 

ये भी तो,आगे की ही

उल्टी हैं, बेशक 

क्योंकि ये..पहाड़ ऊंचा है, 

इसे याद रख! 

उतरना चढ़ना 

पहाड़ों पे आसान नहीं

हिम्मत रख, आगे तो बढ़! 

कुछ तो मिला, 

उसे पूरा.. प्यार तो कर! 


जिसे, पूरा...मिला, 

मिल..उससे

पूछ.. इक बार  

शिखर पर क्या मिला..उसको 

नीचे का ही रास्ता दिखा!  

या अलावा उसके!  

कुछ और..तो पूछ

क्या नीला शून्य भी देखा.. उसने।

भाव: यात्रा ही जीवन है, और जीवन का रस भी, परिणाम भी, अंत में जीवन के शिखर पर ऊपर निरा शून्य आकाश ही बचता है और नीचे अपनी बीती जीवन यात्रा की सुख दुख भरी स्मृतियां और कुछ भी नहीं। इसलिए ईश्वर पर भरोसा रखे और जीवन का हर क्षण आनंद और संयम से गुजारें।

जय प्रकाश मिश्र








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