तेरे लिए उसने लगाए साल कितने,
तेरे लिए उसने लगाए साल कितने,
मत मसोसो मन को ऐसे खुश रहो,
क्या धरा है इस धरा पर खुश रहो।
बात बस, कुछ दिन बिताने की तो है,
कल्पनाओ में फिरो, पर खुश रहो।
(जिंदगी में आनंद महसूस करने की एक जगह है दुखी न रहो)
खिंच उठेगी एक रेखा,
शुरू तो कर।
जिंदगी खुद रंग लेगी,
बैठ तो तूं रंग लेकर।
देखना तुम,
रंग जैसे भी तेरे हों,
साथ में सब लोग
जैसे भी तेरे हों।
डर नहीं, निर्भय चला चल।
राह में, पीता हलाहल।
(आर्थिक सामाजिक स्थिति से न डर, राह में परेशानियां होंगी, मन ऊंचा रख)
ध्यान रखना!
कैनवस का रंग
तेरे साफ हो!
छोटा बड़ा कुछ भी हो
पर सिकुड़न, सड़न से मुक्त हो!
जिससे! बने जो दृश्य इसपर
वह सदा संपूर्ण हो।
( हृदय निर्मल और विश्वास पक्का हो जिससे जीवन अपनी संपूर्णता पाए)
तेरा चितेरा गुन रहा था,
कूचियों रंग भर रहा था।
रंग चुनता, छोड़ता था,
सारंग बना, वह घूमता था।
तेरे लिए उसने लगाए साल कितने,
तूं क्या जाने घूम आया द्वीप कितने।
खोजता तेरे लिए परिवेश जग में,
विथियों, पगडंडियों के डांड उसने।
झांकता उर मध्य, मन के आंगना,
तब दिया है जन्म तुझको उसने यहां
मत कभी हो अनमना।
मत कभी हो अनमाना।
(मानव जीवन परमात्मा का विशिष्ट उपहार है उसने आपके लिए आपका परिवेश चुना है, आप पूरे आत्मविश्वास से आगे बढ़े प्रसन्न रहें)
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