तंज कैसे तुझको न दूं..

पृष्ठभूमि: जब कहीं कोई वारदात होती है तो वहीं क्यों हुई! इस पर प्रश्न उठता ही है। पहलगाम की पूरी कारस्तानी जिसकी प्रायोजित है जगजाहिर है। पर वहां के लोगों की भी जिम्मेदारी आती है कि कोई आप के घर आया है, प्यार से, आपके लिए वह एक दायित्व भी है और अमानत भी, कि वह खुशी खुशी वापस जाए और यह सिलसिला बना रहे। लेकिन जब निरपराध आपके आस पास मारे जाएंगे तो आप पर लोग एक बारगी सोचेंगे। इसी पर कुछ लाइने पढ़ें।

तंज कैसे तुझको न दूं.. 

पीता रहूं मैं, रंज कब तक!  

सोच तो! 

वो.. घर है तेरा, बाग़बां है, 

रहन.. तेरी, घेर.. तेरा।

आखि़र यहीं रहता है तूं,

हर शाम से ले.. हर, सबेरा! 

 

कौन आया, बाहरी… 

मैं जानता हूं, 

की…

तूं जानता है! 

है छिपा कोई यहां, बंदूक ले 

मैं जानता हूं, की..

तूं जानता है! 

क्या डरा है, या मिला है 

उन सभी से।

कुछ बोल तो, 

ये… चुप्पी तेरी.. तुझे लील लेगी

हां, तुम्हे ही…, ये सोच ले..

एक दिन!  

इसलिए कुछ बोल तो; 

खा गई धरती, गगन ”उसे” पूछता हूं! 

जान ले ली छब्बीस, जिसने 

बेगुनाहों की अरे! 

मैं पूछता हूं! 

कब तक रहेगा चुप यूं.. तूं 

पत्थर भी एक दिन डोलता है

मर्म अपना खोलता है

साथ है किसके! बता तूं?  

मर्म अपना खोल तो! 

खुला दिल ले के खड़ा है हिन्दोस्तां 

आ एक हो ले, गले मिल ले! 

आराम से रह! घर में अपने

क्यों जी रहा, तूं घुट घुटा के, 

शान से रह! 

ये देश तुम पर है निछावर

एक बन रह! 

कुछ सोच तो! 

क्या यही कश्मीर है? 

कश्मीरियत है? 

मार दें.. 

जो घूमने आए तेरे घर! प्यार से,

कोई! क्यों यहीं आए! 

हम क्यों यहीं आएं, 

सब क्यों यहीं आएं! 

देखने नदिया, किनारे, घाटियां

पर्वत, नजारे तेरे घर पर

क्या यहां ऐसा नहीं है, और रे, 

मेरे देश में, तूं सोच तो! 

हम यहां आते हैं मिलने 

आप से, अपनों से, अपने लोग से

छोड़ देंगे लोग जिस दिन, राह तेरी

वीरान हो जाओगे उस दिन

सच सुनो! 

क्या चाहते तुम यही हो! 

कटघरे में युग बिताओ, 

क्या चाहते तुम! 

यही हो! 

कल सुना कहते हुए, तेरे रहनुमा को

”वो दिखा रहा था बहुत बहादुरी”

इस लिए मारा गया..

उस बीर…को

सैय्यद आदिल हुसैन शाह को

और रो रहा था, पछतावा लिए, 

जैसे हुआ... कुछ गलत हो

खड़े कर कुछ अन्य को.. साथ में

गर्व करने की जगह,

कोई तो निकला, एक उनमें शेर था

जिसके लिए वे कर सकें 

चौड़ी छाती..

पर खेद है.. 

बमुश्किल कहा तेरे सरगना ने 

कुछ करेंगे, उसके लिए 

और चोर सा चलता बना।

जय प्रकाश मिश्र


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