जीवन कोई पहेली तो नहीं,!

भाव: 
जीवन पहेली तो नहीं, 
पहेली से कमतर भी नहीं। 
क्या पींगे मारती है! मितरों 
डोर अपनी , टूटने का
इसे, डर..ही. नहीं। 
खाली रहना, कभी न, भरना
नियति है इसकी, 
इस नियति से... 
कभी भी बाहर, 
यह निकली ही.... नहीं ।

आगे आज की कविता पढ़ें आनंद लें।

यारों! कब हुई पूरी ये किसकी..! 

आजतक, खाली रही है!  

खाली.. रही, खाली..रही, 

आदि से... खाली रही है।

कुछ..भी करोकितना भरो 

छनती है यह, रिसती है यह

बहती हुई, हर ओर से तले से

छिजती है यह...।


छलकती है सर्प सी 

रूप ले ले, नवेले नित

भरमती है, सरकती है।

पकड़ते ही भागती है... 

दौड़ती है तेज, कितना

क्या कहूं तुमसे.. ये कैसे

रूप क्षण क्षण बदलती है।

छोड़ दो अब पकड़ना... 

छलिया है ये..

पर क्या करोगे?  

मन से बंधे हो!  

मन है कैसा, हाय तेरा!  

गेंद सा, उस रबर का

थकता नहीं, रुकता नहीं,

जाने न कितनी बार से

यह ड्रिपल करता, एक ही* 

उस बिंदु पर.. 

देख कैसे उछलता... है।

क्या करूं? 

आदि.. से आदत है इसकी 

और अपनी, एक सच कहूं! 

बेलाग हो! 

भरता.. नहीं है।

इसलिए मैं सोचता हूं... 

मोड.. दूं 

अब दिशा अपनी  

लौट कर फिर... घर चलूं।


मैं पुराने... घर उसी...

छोड़ कर जिन चौखटों को

पुश्त से दर पुश्त तक जो हैं गडी 

उस भूमि पर, 

माथा टिका प्रस्थान करते थे सदा हम

सम्मान रखेंगे सदा जिस भूमि का हम  

निज कर्म से.. 

आचरण से व्यवहार से आमरण...तक।

प्रतीक्षा में वह खड़ी है, आज भी 

शायद हो सच! यह सोचकर! 

मैं जा रहा हूँ... 

छोड़कर शतरंज की चौपड़.. ये तेरी

प्यार करने, 

भूली हुई जन्नत को अब

उस पुराने घर को अब।

भाव: सुबह का भुला शाम तक घोंसले में लौटे तो भुला नहीं कहते।

जय प्रकाश मिश्र

पुष्प द्वितीय: भाग्य की शक्ति

खुद को बदनाम! कर

मिला क्या मुझको, ये पूछो? 

और सोचो! 

नीचे नहीं, थोड़ा और भी 

ऊंचे ही सोचो..,

किस्मत! ये क्या कुछ भी नहीं

अरे! कभी तो, उसको भी 

कोसो… ।

भाव: कभी कभी बहुत उन्नत और शीर्षपुरुष भी कुछ ऐसा कर जाते हैं जो सामान्य जन से भी अपेक्षा नहीं की जाती इसे भाग्य का लेखा मानकर आगे बढ़ना चाहिए।

तृतीय पुष्प: अदृष्ट

दंड देता कौन किसको, 

मत, पूछ मुझसे 

पिता से..उस, पूछ 

दंड देकर कठिन, जो 

बेटे को अपने, 

रोता, बिलखता देख उसको

रोता है भीतर किस तरह

घुट घुट के अंदर, सोच तो।

भाव: संसार जो दिखता है होता नहीं, और जो होता है सामान्यतः दिखाया नहीं। इसलिए निर्णय लेने से पहले किसी पर आक्षेप या तोहमत लगाने से पूर्व गहन सोच विचार करना चाहिए।

जय प्रकाश मिश्र



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