करुणा सिंधु, परम आनंदित..

भाव:  शिव कल्याण के देवता हैं, महादेव हैं, साक्षात करुणामूर्ति हैं। उनका नाम, ध्यान, वाग़, सब आनंद है। वह प्राप्ति के शिखर हैं और दीनजन के प्रति कृपा का धरातल हैं। नैसर्गिक शुद्ध हैं। सबके वंदनीय हैं। उनकी प्रार्थना के दो शब्द पढ़ें और आनंदित हों।

शिव स्तुति

ॐ तदाकार, ऊँकार, 

शिव शक्ति रुपाय,

वट वृक्ष विश्वास 

नमः सर्व आस्थाय।


करुनाय विश्वाय, 

सदा सत्य-उत्साय,

आर्त प्रान आधाय।

ॐ नमः शिवाय।

ॐ नमः शिवाय।


महाकाल ओंकार, 

स्वयंभू महादेव,

कैलाश वासी..

काशी प्रवासी..

वलय कुंज शोभित

निनादित महाकाल।

परामशान्त, योगिध्यान, 

शक्ति पुंज, एक मात्र 

वैरागी, मूल अंश,

नवांकुर, शेष रूप

श्री शक्ति ध्यानाय

ॐ नमः शिवाय,

ॐ नमः शिवाय।


सद्य:जात, 

मन:संपोषित,

चितवनि 

नवल तरंगित।

शिव शिव, वाचः

परम पवित्रह,

हिन्नद, पवन 

हिडोलित।


करुणा सिंधु

परम आनंदित,

विगत मोह मद

शोभित।

ॐ नमः शिवाय।

ॐ नमः शिवाय।


सुषमा सदन

नवल रस शोभित

अंकुर, सकल स्वरूपा,

सर्व समन्वित, 

त्रिभुअन पूजित

अगणित रूप,अनूपा।

जय सत्व स्वरूपा, 

आश्रय रूपा 

अवघड़ दानी भूपा 

जय वेद प्रशंसित, 

ऋषिगण पूजित

जय शिव,हरि हर,रूपा।

ॐ नमः शिवाय।

ॐ नमः शिवाय

जय प्रकाश मिश्र


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