जब आग जले भीतर ही कभी तो..
पग प्रथम: अक्टूबर की एक शाम
एक, चपटे मुंह वाली
लड़की सी, यह शाम
ज्यादा नहीं
दस बारह बरस की,
सर्दियों में
दुमती दुमती,
पार्क रेलिंग ऊपर,
आ बैठी।
गीले, क्रीम पुते,
चौड़े चेहरे में, सहमी सहमी
दबे पांव आगे बढ़ती,
धुंधुलाते ओस की नम चादर
अंकों में दबाए,
काली तितली की धुपछैयां सी
जादुई पंख पसारती,
आहिस्ता आहिस्ता हर ओर
चुपचाप, आगे बढ़ती,
कुंजों के भीतर, पत्तियों में
लुका छिपी खेलती,
कुछ डरती,
कुछ मुस्कुराती, हंसती, यह
अक्टूबर की
एक बेहतरीन शाम थी।
पग द्वितीय: यह जिंदगी है!
मैने, बड़े
'स्नेह और आदर' से
उनका 'हाले-दयार,' पूछा
वो, महकते फूल से नाजुक,
पंखुरी ही थे;
वर्षा जल के ऊपर गिरते ही,
अंदर ही, अंदर तक,
बेसब्र हो टूट गए!
रुंधे गले! बहुत धीमे!
बोले! नहीं बाबू!
यहां अभी सब ठीक 'ही' है!
अच्छा है,
अभी ऐसी दिक्कत! नहीं है!
आप हैं, सब जानते हैं!
हम अच्छे से है,
अब कुछ दुखता-पिराता नहीं;
ये शब्द उनके मुंह से सुनना,
जो अपने समय का
शहंशाह रहा हो,
दुनियां नाचती रही हो
अल-सुबहो-शाम, छोटी बच्ची सी
सामने जिसके
हर, दर-ओ-मुकाम।
कुछ ज्यादा भारी था,
मुझे दिल पर, ढोने के लिए!
सोचता हूं,
जिंदगी क्या है ?
भागता सुनहरा हिरन!
कितना सुंदर लगता है, सच में,
अनुपम!
इसकी सुंदर
लोल लोल, कोयों सी आंखे,
कितना खींचती है, ललचाती हैं,
सटा लेती हैं,
अपनी मासूम चंचलता संग
सबका मन!
पर जिंदगी हो या हिरन
छलांग लगाते...
लगाते ..दुर्भेद्य समय की,
घनी झाड़ियों में
इतनी कुशलता से,
निष्कम्प
कितने जल्दी...
तीर से, अदृश्य हो जाते हैं,
हम अचंभित!
देखते रह जाते हैं।
ये जिंदगी
भागते भागते
कब, कैसे गायब हो जाती है ?
वैसे, जैसे खुद की रखी चीज
नहीं मिलती, पछतावा दे जाती है।
जाने कहां गायब हो जाती है,
ये जवानी, बचपन लिए!
जिंदगी है! भाग जाएगी!
एक दिन जो हाथ में है!
हाथ नहीं आएगी!
पग तृतीय: आशा में जीना
गहरे नीले, नमी भरे आकाश में
सुंदर होती है, इंद्रधनुष, जितनी..
वैसा ही खुद को बना लेना
हो सके तो, तुम भी कभी !
स्नेह से भरे
आंखों में ढुलकते,
आंसुओं की सतरंगी झलक,
कभी देखी तुमने!
एक फव्वारा!
और कसकती धार!
हंसी की..
अपने ख्यालों में रखना।
जब बुझने लगे
दीप आशा के
तो जला लेना,
अपनी किस्मत की लड़ी
पैरों में बांध घुंघरू,
उछल जाना!
जब समय दौड़ाए
और आगे, खाई हो गहरी!
एक फूल की खुशबू में खो जाना
जब आग जले भीतर ही कभी।
जय प्रकाश मिश्र
बहुत सुन्दर रचना है सादर प्रणाम 🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDelete