बीज तो सभी बोते हैं
आज के
जश्न पे
तुम
अपनी ये
जिंदगी
गिरवी रख दो, 🪺👣
हवा पानी के साथ
जैसे नीचे....
घाटी में गिरे...
कुछ ऐसे...
थोड़ा... खुलकर
तो हंसो...। 🤓
देखो, हां, हां
पर कुछ ऐसे देखो
बादलों बीच लुक-छुप करता
चतुर्थी का चांद. 🌜
नीचे देखता हो
जैसे, देखो वैसे।
पहनो
कोई अच्छा सा
कपड़ा पहनो,
इंद्रधनुष
जैसे खिल उठती है🌈
ऊंचे आकाश पर
आज कुछ वैसे दिखो।
चलो
तो ऐसे चलो
लहर सागर की
सरसराती चढ़ आती है
दौड़ती धारों पे
हां वैसे लहरा के चलो।🌊
आज का ये दिन तुम्हारा है,
कल तुमने जो मेहनत बोई थी,
आज उसकी ही सफलता का
नजारा है। 🌅
ये जश्न कभी कभी,
एक बार
होता है, जिंदगी में🌠
और कभी कभी तो
जिंदगी बिना जश्न के ही
बीत जाती है।🌨️
कुछ लोग ही होते है
जिनकी मेहनत और ईमानदारी
की मजदूरी रंग लाती है।🎆🎇
बीज तो सभी बोते हैं
कोई दिल में लालच रखकर, 🪺
कोई विश्वास में भरकर🔥
कोई कर्म से कर्म तक रह कर🪔
और कोई उस चिड़िया के लिए
जो अपने लिए बो नहीं सकती 🦆
पर पेट तो उसपे भी है, खाने के लिए,
वो बोता है उन चिड़ियों के लिए।🦚
जय प्रकाश मिश्र
अपने उन प्रिय मित्र को समर्पित जिनकी बेटी ने संप्रति आईएएस में सफलता हासिल की है।
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