उड़ने वाले के लिए चारदीवारी नहीं होती
गुजरे सुनहले पल (थोड़ा धीरे पढ़ेंगे तो गहरे उतरेंगे)
खोल..ता हूं,
जब कभी..
भी,
वो... पेज,
तसबीर तेरी
टेढी.. लगती,
है..... मुझे,
खता... तसबीर,
की... है,
या... मुझमें,
ये सच…..
बताओ तो मुझे..।
अनेकों बार हम सभी, सही चीजों को, लोगों को, परिस्थितियों को अपने मन के पूर्वाग्रह, कुंठा, वैमनस्य या विचलित दृष्टिकोण से उल्टा समझते हैं जो गलत है।
हजरत! ...
‘हसरत’... हकीकत
नहीं.... होती।
प्याला-ए-नाफ….
की....
कीमत नहीं होती।
मुतमईन, होने को तो,
यों, हो ले कोई,
पर, उड़ने वाले के लिए,
चारदिवारी ....
नहीं होती।
जय प्रकाश
सामान्य भावार्थ: जिंदगी का यथार्थ, धरातल, सच्चाई जादुई नहीं होती कल्पना लोक वास्तविक नहीं होता, ईश्वर निर्मित हर प्राणी के सभी अंग सुंदर ही हैं, उसका मूल्य आपके कम आंकने से अवमूल्यित नहीं होता है। बाकी संतुष्टि अच्छी चीज है पर अगर आप में सचमुच काबिलियत है तो कोई व्यक्ति या यह दुनियां आपके लिए अवरोध नहीं बन सकती।
Good for self investigation and glas color decide to it
ReplyDeleteआपने पढ़ा समझा, और अपने विचार लिखे मेरे लिए यह महत्वपूर्ण है।
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