तुम खिलो हे अखिल के सच
हे अभीप्सित जलद पावन छा मेरे तूं आंगना,
हे मृदुल तन श्याम शीतल आ मेरे तूं आंगना।
रस सरस अंतर भरा, बरसा मेरे तूं आंगना,
बन मयूरी नाच जाऊं, कर कुछ ऐसा साजना।
तुम खिलो हे अखिल के सच आज मेरे आंगना।
प्राण का आधार बनकर खिल उठो मेरे आंगना।
Comments
Post a Comment