वसंत पंचमी (सरस्वती पूजा)

 वसंत पंचमी (सरस्वती पूजा)

खिलने लगे गुलाब क्यारी में, 

खेतो में राई मुसकाई। 

ओढ़े रंग बिरंगी चादर,

प्रकृति की देवी इतराई। 


मुकुलित तन प्रमुदित मन लेकर, 

सुंदर सुखद हवाएं आईं।

खुश हैं सारे खेत बाग, बन

मन में सुखद उमंगे छाईं।

नाचे मन मयूर खेतों संग

ऐसी हरियाली छायी।

सरस हुआ तन, सरस हुआ मन 

सरस हुआ वन, घर आंगन

धानी चूनर पहन पहन कर

आज हुई है प्रकृति मगन मन।

दिन शुभारंभ का, ज्ञान बुद्धि का

सताकर्मों के फल देने का,

देवी सरस्वती आईं।

पूजन करो, 

पीत पुष्प अर्पण करो, 

पीले वस्त्र धारण करो,

मां वाणी को नमन करो,

प्रसन्नता धारण करो,

ऊर्जित तन ऊर्जित मन

जग में प्रवेश करो।

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